shahil khan

Add To collaction

छोटे छोटे सवाल

इंटरव्यू से पहले (अध्याय-1) सत्यव्रत ठीक दस बजे उस कमरे में पहुँचा जहाँ इंटरव्यु के लिए और बहुत-से उम्मीदवार जमा थे। यद्यपि वह आर्यसमाज मन्दिर से साढ़े नौ बजे ही चल दिया था, फिर मी मन में थोड़ा चिन्तित था। वक्त का सही अनुमान न लगा पाने के कारण उसे लगता था कि कहीं पाँच-सात मिनट का विलम्ब न हो गया हो। किन्तु कमरे में पहुंचकर उसे सान्त्वना मिली। लोग एक-एक, दो-दो की टुकड़ी में बँटे हुए बातचीत कर रहे थे और ऐसा नहीं लगता था कि इंटरव्यू शुरू हो गए हैं।

"क्यों साहब, जब तक हम लोगों का इंटरव्यू शुरू हो, तब तक क्यों न हम एक-दूसरे का परिचय ही हासिल कर लें ?" ठाकुर ने बेंच से उठकर दोनों हाथ आगे फैलाते हुए एक्टराना अन्दाज में कहा और फिर खुद अपना परिचय देते हुए बोला, "बन्दे का नाम है राजेश्वर ठाकुर और असिस्टेंट टीचरी का उम्मीदवार हूँ।"

बात करने का अन्दाज और बात का वजन दोनों बराबर उतरे। हिन्दु इंटर कॉलेज, राजपुर के उस कमरे में पन्द्रह-बीस बेतरतीब-सी डेस्कों के पीछे लगी बेंचों पर बैठे उम्मीदवारों में जैसे जिन्दगी की हलचल दौड़ गई। अब तक खामोश-से बैठे प्रतीक्षाग्रस्त उम्मीदवार इस बात के प्रति ज्यादा सतर्क थे कि कहीं डेस्कों की दावात की सूखी स्याही का कोई धब्बा उनके साफ़ धुले कपड़ों पर न लग जाए। पर अब उन्हें लगा कि वक्त बातचीत करके भी गुज़ारा जा सकता है। सत्यव्रत कोने में पड़ी एक बेंच पर बैठ गया। एक सिरे से खड़े होकर सबने अपना परिचय देना शुरू किया।

   0
0 Comments